न मंज़िल की तलाश कर,
न मोड़ का खौफ रख,
दिल तो तेरा आवारा है
आवारा ही रहेगा..
बेपरवाह बेफिक्र मुसाफिर,
रस्ते गलियों पे चल दे तू..
सफ़र में जो न बन सके हमसफ़र तेरे,
उनकी यादों के साथ,
सफ़र अपना मुक़म्मल कर ले तू..
कि आखिर जिंदगानी है इक कारवाँ
मुसाफिर आते हैं , मुसाफिर जाते हैं..
जो न रहे जुज़्व-ए-ज़िन्दगी,
उनकी ग़म-ए-जुदाई में तन्हाई क्या..
मदहोशी में खुद को भुला कर,
इक बार नशे में बह जा तू,
मिल के बिछड़ना तो है दुनिया का दस्तूर,
हर रूह है बेचैन , हर शख्स है मजबूर,
एक बार कर ले जो तू,
मजबूरियों को मंज़ूर,
एक राहत तेरे दर पे दस्तक देगी तो ज़रूर..
अहबाब न रहे जो तेरे हयात में,
तू खुद ही खुद का हबीब है,
महफ़िल में ख़ुशी न मिली,
तो खल्वत का सुकून ही सही,
खुशियाँ तेरी मुख़्तसर ही सही,
मुस्कुरा के जी ले तू..
हर खता को बक्श दे,
बाशुक्रिया हर इनायत को कुबूल कर,
पूरी कायनात तेरे सदके में सर झुकाएगी,
एक बार ये ज़हमत कर ले तू..
हर शिकवे को भुला कर,
मुस्कुरा के जी ले तू..
खुदा की रहमत होगी तुझपे जो,
इक बार इबादत कर ले तू..
[This is just a random poem.. I had written it while travelling once.. I just re-read it today, and somehow, it made me smile.. sharing it with a hope that it would make all readers smile too !
I love Urdu !! ]
4 comments:
Awesome !! great job !!!!
Had to google a few meanings though :P
Hadd hai! matlab photu itni achhi lag gyi ki uspe poem hi likh di!
@ anonymous, sumit, marx
thanks :)
@ujjaval
well, photu poem ke content ko compliment karti thi toh photu bhi chipka di sath me :P ..welcome to my blog :) keep reading :)
liked it, must be on everyones follow list
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