हमसे गुफ्तगू उन्हें न गवारा हो न सही,
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उनकी ख़ामोशी में हमारे अलफ़ाज़ आज भी हैं ..
ग़म-ए-तन्हाई में उन्हें तनहा रहने की आदत ही सही,
उनकी तन्हाई में हमारी सोहबत आज भी है ..
उन्हें न हो तकदीर पे ऐतबार, न सही,
उनकी खातिर हर ग़म को ख़ुशी में बदलने का जज्बा दिल में आज भी है..
इज़हार-ए-मोहब्बत उनके लिए इकबाल-ए-जुर्म ही सही,
उनकी हर सजा कुबूल हमे आज भी है..
उनकी दास्ताँ हमारे बगैर ही मुक़म्मल सही,
हमसे वाबस्ता उनके हज़ारों अफ़साने आज भी हैं..
न वो समझे हैं जज़्बात हमारे, न समझेंगे ख्वाहिशों को,
उनकी नवाजिशों का इंतज़ार हमे आज भी है..
उनकी ये खता ही सही,
वो हमसे खफा ही सही,
पर हम न होंगे उनसे कभी खफा,
उनकी हर खता के सदके में हमारी चाहत आज भी है..
न रहा है उनपे हक हमारा, न कोई इख्तियार,
पर न जाने क्यूँ..
उनके ऐतबार पे हमे ऐतबार आज भी है..
P.S.
I had been reading Meena Kumari's poems ..Few people know that she was not only a brilliant actress, but also a great writer.. Moreover, she is known as the "tragedy queen" of Indian cinema, for her sorrowful and dramatic roles in movies and her real-life story and sad experiences.. The following lines by her describe the story of her life completely..
तुम क्या करोगे सुनकर मुझसे मेरी कहानी
बेलुत्फ ज़िन्दगी के किस्से हैं फीके फीके..
Here is a link to one of her poems, in her own voice..
Chand tanha hai, aasma tanha..
Her poems inspired me to write in Urdu.. But, I wanted to write something that talks of faith, hope and forgiveness.. Hope you enjoy reading it !!
Cheers !
ग़म-ए-तन्हाई में उन्हें तनहा रहने की आदत ही सही,
उनकी तन्हाई में हमारी सोहबत आज भी है ..
उन्हें न हो तकदीर पे ऐतबार, न सही,
उनकी खातिर हर ग़म को ख़ुशी में बदलने का जज्बा दिल में आज भी है..
इज़हार-ए-मोहब्बत उनके लिए इकबाल-ए-जुर्म ही सही,
उनकी हर सजा कुबूल हमे आज भी है..
उनकी दास्ताँ हमारे बगैर ही मुक़म्मल सही,
हमसे वाबस्ता उनके हज़ारों अफ़साने आज भी हैं..
न वो समझे हैं जज़्बात हमारे, न समझेंगे ख्वाहिशों को,
उनकी नवाजिशों का इंतज़ार हमे आज भी है..
उनकी ये खता ही सही,
वो हमसे खफा ही सही,
पर हम न होंगे उनसे कभी खफा,
उनकी हर खता के सदके में हमारी चाहत आज भी है..
न रहा है उनपे हक हमारा, न कोई इख्तियार,
पर न जाने क्यूँ..
उनके ऐतबार पे हमे ऐतबार आज भी है..
P.S.
I had been reading Meena Kumari's poems ..Few people know that she was not only a brilliant actress, but also a great writer.. Moreover, she is known as the "tragedy queen" of Indian cinema, for her sorrowful and dramatic roles in movies and her real-life story and sad experiences.. The following lines by her describe the story of her life completely..
तुम क्या करोगे सुनकर मुझसे मेरी कहानी
बेलुत्फ ज़िन्दगी के किस्से हैं फीके फीके..
Here is a link to one of her poems, in her own voice..
Chand tanha hai, aasma tanha..
Her poems inspired me to write in Urdu.. But, I wanted to write something that talks of faith, hope and forgiveness.. Hope you enjoy reading it !!
Cheers !
11 comments:
"उनकी दास्ताँ हमारे बगैर ही मुक़म्मल सही,
हमसे वाबस्ता उनके हज़ारों अफ़साने आज भी हैं..
न वो समझे हैं जज़्बात हमारे, न समझेंगे ख्वाहिशों को,
उनकी नवाजिशों का इंतज़ार हमे आज भी है.."...Amazing!!!!
ya allah! ek ek ibaarat jaise humaari rooh ko ibaadat kar gayi. :D
Can you please post the english translation.. I've been trying to translate it but there's some error
@ Rastogi, KZ
tah-e-dil se shukriya :)
@Lakshay
kuch bhi !! Matlab.. Kuch bhi :P :P
@anonymous
well..sometimes translating into english kinda spoils the beauty of a poem in hindi/urdu... I'll write bout the theme n the message i wanted to convey though..thanks for visiting!
Laakh muflis hi kahe, rashk jataye kafir..
apne mazhab pe hame aitbar aaj b hai!
(love is ma religion)
Very Beautiful features out here....
look very pretty...
Visit my website
http://imkarachi.co.cc
Hamari aur apki pasand sayad ek nahi, par sayad urdi ki zuban dono hi bolna chahte hain..
Plz visit my blog,
www.thefairlove.blogspot.com
Sonia, are you a proffesional one? I want to work under you
-TJ Abhi
@ mubashshir, anonymous
thank you very much :)
@ love abhi
No, I'm not a professional writer.. I just write for fun, or to express my views.. that's it !
great.. !
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