जानी पहचानी सी है फिर भी अनजानी सी,
रोज़ाना लिखती है इक नयी कहानी सी..
कहने को हमारी है ये ज़िन्दगी,
मगर इसपे हमारा इख्तियार कहाँ..
कहते हैं एक सफ़र है ज़िन्दगी,
किसे मालूम इसका नया मोड़ है कहाँ ..
चलता है यूँ कारवाँ ज़िन्दगी का,
मुसाफिर ही न जाने कि मंज़िल है कहाँ..
कहीं बंद किवाड़े, कहीं रास्ते मिलते हैं,
बहता है यूँ बहर ज़िन्दगी का,
कश्ती ही न जाने कि साहिल है कहाँ..
कभी तूफ़ान आते हैं, कभी किनारे मिलते हैं..
न मालूम है आने वाले पल का वाक़िया,
न जाने इस नए सफ़र में होना है क्या..
बे एतबारी है, मगर ख़ुशी की है इक उम्मीद सी,
जोश है, जूनून है, तो थोड़ी उदासी भी है ख़ुशामदीद सी..
फ़लसफ़ा ज़िन्दगी का यूँ तय किया हमने,
कि बे ऐतबारी में भी सुकून की उम्मीद करते हैं हम,
कि अनजाने सफ़र में भी मंज़िल को टटोलते हैं हम..
जहाँ चाहे ले जाये ज़िन्दगी का सफ़र,
चलते चलते उसके हर रास्ते को माशीयत समझ,
इस सफ़र का हर नया मोड़ तस्लीम करते हैं हम..
I had written this poem while I was waiting for some answers, trying to deal with uncertainty, for its funny how the unknown, the uncertain is often the reason behind so many human emotions- Curiosity, anxiety, excitement, worry, fear, insecurity and in most of the cases a combination of all these !
Now that I'm posting this poem, ..I feel that while a new journey is about to begin, you should go with the flow, let your heart guide you, let your faith support you, let the fear of uncertainty turn into excitement and zeal..
Uncertainty (be aetbaari ) in life does exist even now, but so does the patience to wait and the hope, the belief that whatever will happen, would be for the better !!
Cheers!
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रोज़ाना लिखती है इक नयी कहानी सी..
कहने को हमारी है ये ज़िन्दगी,
मगर इसपे हमारा इख्तियार कहाँ..
कहते हैं एक सफ़र है ज़िन्दगी,
किसे मालूम इसका नया मोड़ है कहाँ ..
चलता है यूँ कारवाँ ज़िन्दगी का,
मुसाफिर ही न जाने कि मंज़िल है कहाँ..
कहीं बंद किवाड़े, कहीं रास्ते मिलते हैं,
बहता है यूँ बहर ज़िन्दगी का,
कश्ती ही न जाने कि साहिल है कहाँ..
कभी तूफ़ान आते हैं, कभी किनारे मिलते हैं..
न मालूम है आने वाले पल का वाक़िया,
न जाने इस नए सफ़र में होना है क्या..
बे एतबारी है, मगर ख़ुशी की है इक उम्मीद सी,
जोश है, जूनून है, तो थोड़ी उदासी भी है ख़ुशामदीद सी..
फ़लसफ़ा ज़िन्दगी का यूँ तय किया हमने,
कि बे ऐतबारी में भी सुकून की उम्मीद करते हैं हम,
कि अनजाने सफ़र में भी मंज़िल को टटोलते हैं हम..
जहाँ चाहे ले जाये ज़िन्दगी का सफ़र,
चलते चलते उसके हर रास्ते को माशीयत समझ,
इस सफ़र का हर नया मोड़ तस्लीम करते हैं हम..
I had written this poem while I was waiting for some answers, trying to deal with uncertainty, for its funny how the unknown, the uncertain is often the reason behind so many human emotions- Curiosity, anxiety, excitement, worry, fear, insecurity and in most of the cases a combination of all these !
Now that I'm posting this poem, ..I feel that while a new journey is about to begin, you should go with the flow, let your heart guide you, let your faith support you, let the fear of uncertainty turn into excitement and zeal..
Uncertainty (be aetbaari ) in life does exist even now, but so does the patience to wait and the hope, the belief that whatever will happen, would be for the better !!
Cheers!